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                  टमाटर की खेती कैसे करें

टमाटर की फसल ( Tamatar Ki Kheti ) के लिए काली दोमट मिट्टी, रेतीली दोमट मिट्टी और लाल दोमट मिट्टी में सफलतापूर्वक उगाई जा सकती है। वैसे Tamatar Ki Kheti के लिए दोमट मिट्टी सबसे उत्तम मानी जाती है। हल्की मिट्टी में भी टमाटर की खेती अच्छी होती है। इसकी अच्छी पैदावार के लिए मिट्टी का पीएच मान 7 से 8.5 होना चाहिए।

टमाटर की फसल (Tamatar Ki Kheti ) : नवंबर में तैयार करें नर्सरी और पाएं भरपूर उत्पादन

आलू, प्याज के बाद यदि कोई सब्जी का जिक्र किया जाता है तो वह है टमाटर। टमाटर का प्रयोग एकल व अन्य सब्जियों का जायका बढ़ाने में काफी मददगार होता है। इसके अलावा त्वचा की देखभाल में भी टमाटर भी का प्रयोग किया जाता है। टमाटर में कैरोटीन नामक वर्णक होता है। इसके अलावा इसमें विटामिन, पोटेशियम के अलावा कई प्रकार के खनिज तत्व मौजूद होते हैं जो मनुष्य के स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होते हैं। भारत में इसकी खेती राजस्थान, कर्नाटक, बिहार, उड़ीसा, उत्तरप्रदेश, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, पश्चिम बंगाल और आंध्रप्रदेश में प्रमुख रूप से की जाती है। आजकल तो बारह महीने बाजार में टमाटर का बिक्री होती है। इस लिहाज से Tamatar Ki Kheti लाभ का सौदा साबित हो रही है। यदि Tamatar Ki Kheti के लिए उन्नत व अधिक पैदावार देने वाली किस्मों का चयन किया जाए तो इससे काफी मुनाफा कमाया जा सकता है। आइए जानते हैं टमाटर की अधिक पैदावार देने वाली उन्नत किस्मों और Tamatar Ki Kheti से जुड़ी आवश्यक बातों के बारे में।

टमाटर की उन्नत किस्में
टमाटर की देशी किस्में: पूसा शीतल, पूसा-120, पूसा रूबी, पूसा गौरव, अर्का विकास, अर्का सौरभ और सोनाली प्रमुख हैं।
टमाटर की हाइब्रिड किस्में: पूसा हाइब्रिड-1, पूसा हाइब्रिड-2, पूसा हाईब्रिड-4, रश्मि और अविनाश-2 प्रमुख हैं।
भारत में टमाटर की सबसे ज्यादा पैदावार देने वाली किस्म- अर्का रक्षक
भारत में Tamatar Ki Kheti करने वाले किसानों के बीच टमाटर की अर्का रक्षक किस्म काफी लोकप्रिय हो रही है। इसकी वजह ये हैं कि एक तरफ तो इस किस्म से बंपर पैदावार मिलती है वहीं दूसरी ओर इसमें टमाटर में लगने वाले प्रमुख रोगों से लडऩे की क्षमता अन्य किस्मों से अधिक है। साथ ही अर्का रक्षक का फल काफी आकर्षक और बाजार की मांग के अनुरूप होता है। इसलिए किसानों का रूझान इस किस्म की ओर बढ़ रहा है।

क्या है अर्का रक्षक किस्म की विशेषताएं / लाभ
यह किस्म भारतीय बागवानी अनुसंधान संस्थान बेंगलुरू की ओर से वर्ष 2010 में इजाद की गई थी। संस्थान के प्रमुख वैज्ञानिक और सब्जी फसल डिवीजन के प्रमुख एटी सदाशिव का कहना है कि यह भारत की पहली ऐसी किस्म है जो त्रिगुणित रोग प्रतिरोधक होती है। इसमें पत्ती मोडक़ विषाणु, जीवाणुविक झुलसा और अगेती अंगमारी जैसे रोगों से लडऩे की क्षमता है। वहीं इसके फल का आकार गोल, बड़े, गहरे लाल और ठोस होता है। वहीं फलों का वजन 90 से 100 ग्राम तक होता है। जो बाजार की मांग के अनुकूल हैं।

एक एकड़ में होती है 500 क्विंटल की पैदावार / टमाटर की उन्नत उत्पादन तकनीक
डॉ सदाशिव के अनुसार टमाटर की इस किस्म में अन्य किस्मों की तुलना में कम लागत आती है। जबकि मुनाफा जबदस्त होता है। इसकी फसल 150 दिन में तैयार हो जाती है। पैदावार के मामले में यह टमाटर की अन्य किस्मों की तुलना में अधिक उत्पादन देने वाली है। इससे प्रति हेक्टेयर 190 टन का उत्पादन लिया जा सकता है। वहीं प्रति एकड़ 45 से 50 टन का उत्पादन होता है। प्रति क्विंटल के हिसाब से उत्पादन देखें तो एक एकड़ में Tamatar Ki Kheti करने पर 500 क्विंटल तक पैदावार मिल सकती है। वहीं अन्य किस्मों से काफी कम पैदावार प्राप्त होती है।

टमाटर की बुवाई का सही समय
जनवरी में टमाटर के पौधे की रोपाई के लिए किसान नवंबर माह के अंत में टमाटर की नर्सरी तैयार कर सकते हैं। पौधों की रोपाई जनवरी के दूसरे सप्ताह में करना चाहिए।
यदि आप सितंबर में इसकी रोपाई करना चाहते हैं तो इसकी नर्सरी जुलाई के अंत में तैयार करें। पौधे की बुवाई अगस्त के अंत या सितंबर के पहले सप्ताह में करें।
मई में इसकी रोपाई के लिए मार्च और अप्रैल माह में नर्सरी तैयार करें। पौधे की बुवाई अप्रैल और मई माह में करें।
टमाटर की पौधे कैसे तैयार करें
खेत में रोपने से पहले टमाटर के पौधे नर्सरी में तैयार किए जाते हैं। इसके लिए नर्सरी को 90 से 100 सेंटीमीटर चौड़ी और 10 से 15 सेंटीमीटर उठी हुई बनाना चाहिए। इससे नर्सरी में पानी नहीं ठहरता है। वहीं निराई-गुड़ाई भी अच्छी तरह हो जाती है। बीज को नर्सरी में 4 सेंटीमीटर की गहराई में बोना चाहिए। टमाटर के बीजों की बुवाई करने के बाद हल्की सिंचाई करनी चाहिए। बीज की नर्सरी में बुवाई से पहले 2 ग्राम केप्टान से उपचारित करना चाहिए। वहीं खेत में 8-10 ग्राम कार्बोफुरान 3 जी प्रति वर्गमीटर के हिसाब से डालना चाहिए। टमाटर के पौधे जब 5 सप्ताह बाद 10-15 सेंटीमीटर के हो जाए तब इन्हें खेत में बोना चाहिए। यदि आप एक एकड़ में टमाटर की खेती करना चाहते हैं तो इसके लिए टमाटर के 100 ग्राम बीज की आवश्यकता होगी।

टमाटर की फसल ( Tamatar Ki Kheti ) में ध्यान रखने वाली बातें
Tamatar Ki Kheti के लिए काली दोमट मिट्टी, रेतीली दोमट मिट्टी और लाल दोमट मिट्टी में सफलतापूर्वक उगाई जा सकती है। वैसे टमाटर की खेती के लिए दोमट मिट्टी सबसे उत्तम मानी जाती है। हल्की मिट्टी में भी टमाटर की खेती अच्छी होती है।
इसकी अच्छी पैदावार के लिए मिट्टी का पीएच मान 7 से 8.5 होना चाहिए। क्योंकि इसमें मध्यम अम्लीय और लवणीय मिट्टी को सहन करने की क्षमता होती है।
विभिन्न कीटों और मृदाजनित रोगों से बचाने के लिए बीज को 3 ग्राम थायरम या 3 ग्राम कार्बेन्डाजिम से उचारित करें।
यदि आपने टमाटर की फसल गर्मियों के दिनों में लगाई हैं तो 6 से 7 दिनों के अंतर में सिंचाई करना चाहिए।
यदि आप सर्दियों में टमाटर की फसल लें रहे हो तो 10-15 दिन के अंतर में सिंचाई करना पर्याप्त है।
टमाटर की अच्छी पैदावार के लिए समय-समय पर निराई-गुड़ाई करना जरूरी है।
टमाटर की खेती का तरीका

खाद एवं उर्वरक

उर्वरकों का प्रयोग मिट्टी परीक्षण के आधार पर किया जाना चाहिए। किसी कारण से अगर मिट्टी का जांच संभव न हो तो उस स्थिति में प्रति हेक्टेयर नेत्रजन-100 किलोग्राम, स्फूर-80 किलोग्राम तथा पोटाश-60 किलोग्राम कि दर से डालना चाहिए। एक-तिहाई नेत्रजन, स्फूर और पोटाश की पूरी मात्रा का मिश्रण बनाकर, प्रतिरोपण से पूर्व मिट्टी में बिखेर कर अच्छी तरह मिला देना चाहिए। शेष नेत्रजन को दो बराबर भागों में बांटकर, प्रतिरोपण के 25 से 30 और 45 से 50 दिन बाद उपरिवेशन (टॉपड्रेसिंग) के रूप में डालकर मिट्टी में मिला देनी चाहिए। जब फूल और फल आने शुरू हो जाए, उस स्थिति में 0.4-0.5 प्रतिशत यूरिया के घोल का छिडक़ाव करना चाहिए। लेकिन सांद्रता पर काफी ध्यान देना चाहिए। अधिक सान्द्र होने पर छिडक़ाव से फसलों की पूरी बर्बादी होने की संभावना रहती है। वहीं हल्की संरचना वाली मृदाओं में फसल के फल फटने की संभावनाएं रहती हैं। प्रतिरोपण के समय 20-25 किलोग्राम बोरेक्स प्रति हेक्टेयर, की दर से डालकर, मिट्टी में भली भांति मिला देना चाहिए। फलों कि गुणवत्ता में सुधार लाने के लिए 0.3 प्रतिशत बोरेक्स का घोल फल आने पर 3-4 छिडक़ाव करना चाहिए।

पाला व लू से टमाटर की फसल की सुरक्षा
टमाटर की पौध के प्रतिरोपण के तुरंत बाद सिंचाई अवश्य करनी चाहिए। इसके बाद 15-20 दिनों के अंतराल में सिंचाई की जा सकती है। टमाटर की फसल को जाड़े में पाला व गर्मी में लू से बचाना बेहद जरूरी होता है। टमाटर की फसल को जाड़े में पाला तथा गर्मी में ‘लू’ से बचाव के लिए 10-12 दिनों के अंतराल में सिंचाई करनी चाहिए ताकि खेत में नमी बनी रहे। इससे जाड़े में पाला का तथा गर्मी में लू का प्रकोप कम होगा जिससे टमाटर की फसल को सुरक्षा मिलेगी और उत्पादन पर भी विपरित असर नहीं पड़ेग

टमाटर की खेती ( Tamatar Ki Kheti )

प्रस्तावना: खेती एक ऐसा काम है जो हमारे देश, भारत, की आर्थिक विकास के लिए महत्वपूर्ण है। खेती के माध्यम से हम अन्न, फसलें, और सब्जियों की पैदावार करते हैं जो हमारे जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसके अलावा, खेती से हम बेरोजगारी को कम करने में भी मदद करते हैं और ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार की समस्या को हल करते हैं। इस लेख में, हम टमाटर की खेती के बारे में चर्चा करेंगे, जो भारत में एक महत्वपूर्ण फसल है।

टमाटर का महत्व: टमाटर भारतीय रसोई का महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह सब्जी हमारे दैनिक आहार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और बिना इसके हमारा भोजन अधूरा माना जाता है। टमाटर का उपयोग सलाद, सूप, सॉस, और अन्य विभिन्न व्यंजनों में होता है। इसके अलावा, टमाटर का रस और गूद़ा भी बनाया जाता है, जिसका उपयोग आवश्यकताओं के अनुसार किया जा सकता है।

टमाटर की खेती ( Tamatar Ki Kheti ) न केवल भारत में, बल्कि पूरे विश्व में महत्वपूर्ण है। टमाटर का व्यापार भी एक बड़ा आर्थिक स्रोत है, जिससे किसानों को रोजगार की साथ ही आर्थिक रूप से भी लाभ होता है।

टमाटर की खेती ( Tamatar Ki Kheti ) का इतिहास: टमाटर की खेती का इतिहास बहुत प्राचीन है। इसका प्राचीन नाम ‘तमातर’ था, जिसका अर्थ होता है ‘मधुर’। टमाटर का वास्तविक उपयोग बहुत ही प्राचीन समय से हो रहा है, और यह फसल मेसोआमेरिका के प्राचीन सभ्यताओं में प्रमुख रूप से पैदा की जाती थी।

टमाटर की खेती ( Tamatar Ki Kheti )  का आरंभ भारत में किया गया था और इसका पहला उल्लेख गुप्तकाल के चित्रकला और चित्रमिमांसा में मिलता है। इसके बाद, टमाटर की खेती ने भारत के अलावा अन्य देशों में भी प्रसार पाया, और आजकल यह दुनिया भर में एक महत्वपूर्ण फसल है।

टमाटर की खेती ( Tamatar Ki Kheti ) के लिए उपयुक्त जगह: टमाटर की खेती के लिए उपयुक्त जगह का चयन करते समय कुछ महत्वपूर्ण बातें ध्यान में रखनी चाहिए। टमाटर के पौधों के लिए सूर्य की अच्छी रोशनी और उच्च मिट्टी की जरूरत होती है। टमाटर की खेती ( Tamatar Ki Kheti ) के लिए खाद्य सामग्री और पानी की भी अच्छी आपूर्ति होनी चाहिए। यहाँ तमाम मानव भोजन की जरूरत है, इसलिए टमाटर की खेती के लिए जमीन का चयन ध्यानपूर्वक करना महत्वपूर्ण है।

टमाटर की खेती ( Tamatar Ki Kheti ) के लिए उपयुक्त मिट्टी: टमाटर की खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी का चयन करते समय यह महत्वपूर्ण है कि आप जानें कि टमाटर का पौधा किस प्रकार की मिट्टी में अच्छे से उग सकता है। टमाटर के पौधे के लिए अच्छी द्रव्यमान मिट्टी की आवश्यकता होती है जो नींबू के पौधों के लिए उपयुक्त होती है। यह मिट्टी अच्छे से ड्रेन होनी चाहिए ताकि पानी न जमे रहे और पौधों को पानी की कमी न हो।

टमाटर की खेती ( Tamatar Ki Kheti ) के लिए उपयुक्त जलवायु: टमाटर की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु भी महत्वपूर्ण है। टमाटर का पौधा गर्मियों में अच्छे से उगता है, इसलिए जलवायु की आवश्यकता होती है जो इसे बढ़ावा दे सके। यह फसल अधिकतर ठंडे मौसम में नहीं उगती है, इसलिए आपको उच्चतम तापमान, अच्छी बर्फ की सुरक्षा और प्रादुर्भावों से बचाव करने के लिए सुनिश्चित करना होगा।

टमाटर की खेती ( Tamatar Ki Kheti )  की विधि: टमाटर की खेती की विधि आमतौर पर बीज से होती है। यहाँ पर कुछ महत्वपूर्ण चरणों को विस्तार से दिया गया है:

  1. बीज की खरीद: टमाटर की खेती के लिए उच्च गुणवत्ता वाले बीजों की खरीद करें। बीजों का चयन विशेष रूप से मिट्टी और जलवायु के आधार पर करें।

  2. बीज की पूर्व-प्रक्रिया: बीजों को पूर्व-प्रक्रिया के लिए धोकर उन्हें खनने वाले पानी में डालें। इससे विषैले पदार्थों को हटाया जा सकता है और बीजों को स्वस्थ बनाया जा सकता है।

  3. बीज की बोना: बीजों को बोने से पहले खेत की तैयारी करें। खेत को अच्छी तरह से प्लाव दें और इसमें कमी कीटाणु और कीटों के प्रकोप की जांच करें। फिर बीजों को बोने।

  4. पौधों की प्रगति: बीजों के बोने जाने के बाद, पौधों की प्रगति की निगरानी रखें। पौधों को सही दूरी पर बोना जाता है, और इसके बाद उन्हें खुदाई और खेत की सफाई की आवश्यकता होती है। इसके बाद, पौधों को सुखाने की आवश्यकता होती है ताकि उनकी रक्षा हो सके।

    1. पानी और खाद्य सामग्री की आपूर्ति: पौधों को पानी और खाद्य सामग्री की आपूर्ति की अच्छी तरह से करें। टमाटर के पौधों को नियमित रूप से पानी देना आवश्यक होता है, और खाद्य सामग्री का सही समय पर प्रयोग करना चाहिए।

    2. पौधों की सहायता: पौधों की सहायता के लिए स्टेक्स या अन्य सहायक उपकरणों का उपयोग करें। इससे पौधों को उच्ची तरह से समर्थित रखा जा सकता है और उनका फलने-फूलने में मदद मिलती है।

    3. कीट प्रबंधन: टमाटर की खेती ( Tamatar Ki Kheti ) में कीटों का प्रबंधन महत्वपूर्ण होता है। आपको खेतों की नियमित निगरानी करनी चाहिए और जब भी आवश्यक, कीट प्रबंधन के लिए उपयुक्त उपायों का उपयोग करना चाहिए।

    4. पानीकरण: टमाटर की खेती में पानीकरण का महत्वपूर्ण भूमिका होती है। पानीकरण की आपूर्ति को सुनिश्चित करने के लिए संचालनी पूंजी का नियमित रूप से प्रबंधन करें।

    5. फसल के प्रबंधन: टमाटर की ( Tamatar Ki Kheti ) फसल के प्रबंधन में अच्छी निगरानी और उचित देखभाल की आवश्यकता होती है। टमाटर की खेती में गिरने वाली फसलों को सही समय पर काटना और बाजार में पहुँचाना आवश्यक होता है।

    टमाटर की खेती ( Tamatar Ki Kheti ) में सफलता पाने के लिए ये सभी कदम महत्वपूर्ण हैं। सही तरीके से देखभाल करके और उपयुक्त तकनीकों का उपयोग करके, आप टमाटर की खेती में सफल हो सकते हैं और अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं।

Tamatar Ki Kheti

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