आप सभी किसान साथियों का आज की इस पोस्ट में स्वागत है | क्या आप जानते हैं की मक्के की खेती ( makke ki kheti ) पर सरकार किसानों की सब्सिडी दे रही है | अगर आप नहीं जानते की मक्के की खेती ( makke ki kheti ) पर सरकार किसानों को क्या सब्सिडी दे रही है तो आज की इस पोस्ट में हम आपको इस सब्सिडी की पूरी जानकारी देंगे |
देखिये एक्सपर्टस का कहना है कि ये हाईब्रिड बीज तीन महीने में ही तैयार हो जाएंगे | यानी इसके बाद आप फसल की कटाई कर सकते हैं | खास बात यह है कि मक्का की खेती जैविक विधि से करने की बात कही गई है | विषेशज्ञों का कहना है कि किसानों को मक्का की खेती में रसायनों का उपयोग त्यागना होगा |
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देखिये बिहार एक कृषि प्रधान राज्य है | यहां पर 85 फीसदी से अधिक आबादी की आजीविका कृषि पर ही निर्भर है | बिहार के किसान धान, गेहूं, दलहन, तिलहन, आम, अमरूद, केला और आलू सहित कई तरह की पारंपरिक और बागवानी फसलों की खेती करते हैं | लेकिन अब किसानों का रुझान धीरे-धीरे मोटे अनाजों की तरफ बढ़ रहा है |इसके लिए राज्य सरकार भी किसानों को प्रोत्साहित कर रही है | वह किसानों को सब्सिडी पर मक्के के बीज उपलब्ध का रही है, ताकि वे अधिक से अधिक रकबे में इसकी खेती कर सकें |
दोस्तों मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, बिहार सरकार खरीफ मक्का का रकबा बढ़ाने के लिए खरीफ मक्के की बीज पर सब्सिडी दे रही है | वर्तमान में मक्के की 8 किस्मों पर सब्सिडी उपलब्ध है | किसान अपने मर्जी के अनुसार किसी भी किस्म के मक्के का बीज अनुदान पर खरीद सकते हैं | खास बात यह है कि सब्सिडी का लाभ सुपौल जिले के वीरपुर के किसान भी उठा सकते हैं | विभिन्न फसलों का चयनित राजस्व ग्राम में 25 एकड़ का कलस्टर बनाया जाएगा | इसके लिए किसानों को मक्के की हाईब्रिड बीज दिए जाएंगे |
मक्के की खेती ( Makke Ki Kheti ) के लिए बिहार है काफी प्रसिद्ध
किसान साथियों हम आपको बता दें कि बिहार मक्का की खेती के लिए प्रसिद्ध है | यहां के कटिहार जिले में किसान मक्का की खेती बड़े पैमाने पर करते हैं | यहां का कोढ़ा प्रखंड मक्का की खेती के लिए बहुत ही मशहूर है | रबी सीजन में कटिहार जिले में जलवायु अनुकूल कृषि प्रोग्राम के अंतर्गत कुल लगभग 450 एकड़ में मेढ़ पर मक्के की खेती ( makke ki kheti ) की गई है |
ऐसे एक्सपर्ट बताते हैं कि मक्का की खेती कर जलवायु परिवर्तन के दौर में फसल चक्र सुधारने में मदद मिलेगी और किसानों को अधिक मुनाफा होगा | किसानों को धान और गेहूं के फसल चक्र से निकालने और नकदी फसलों पर फोकस करने पर जोर दिया जा रहा है | धान की खेती में पानी बहुत अधिक लगता है जबकि मक्का कम पानी में अधिक उपज देता है |
किसान जैविक विधि से खेती कर सकतें हैं
किसान साथियों एक्सपर्टस का ये कहना है कि ये हाईब्रिड बीज तीन महीने में ही तैयार हो जाएंगे | यानी इसके बाद आप फसल की कटाई कर सकते हैं | दोस्तों खास बात तो यह है कि मक्के की खेती ( makke ki kheti ) जैविक विधि से करने की बात कही गई है | विषेशज्ञों का कहना है कि किसानों को मक्का की खेती में रसायनों का उपयोग त्यागना होगा | उन्हें कम से कम कीटनाशकों का इस्तेमाल करने की जरूरत है | साथ ही किसान खेत में रसायनिक खाद की जगह गोबर और वर्मी कंपोस्ट का इस्तेमाल करें | इससे मिट्टी की उर्रवरा शक्ति भी बनी रहती है | इसके अलावा अनाज की गुणवत्ता भी सेहतमंद रहती है |
पशुओं का हरा चारा यहाँ उपलब्ध है :- Kisan Napier Farm
किसान साथियों ये थे आज का मक्के की खेती ( makke ki kheti ) की जानकारी | उम्मीद करते हैं आपको आज की जानकारी पसंद आयी होगी | अगर आपको आज की ये जानकारी पसंद आयी तो आप इस जानकारी को ज़्यादा से ज़्यादा किसान साथियों के साथ फेसबुक ग्रुप्स और व्हाट्सप्प ग्रुप्स के माध्यम से शेयर करें | क्योंकि इसी तरह की जानकारी आपको हर रोज़ हमारी इस वेबसाइट पर देखने को मिलती रहेगी |