Top Variety of Mustard Seeds : देशभर में किसानों ने खरीफ फसलों की कटाई का काम शुरू कर दिया है, और अब रबी फसलों की बुवाई की तैयारी चल रही है। इस दौरान गेहूं, जौ, चना और सरसों जैसी फसलों की बुवाई होगी। रबी सीजन के लिए सरसों उगाने वाले किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण जानकारी है।
Top Variety of Mustard Seeds से सरसों की खेती
भारत में सरसों एक प्रमुख तिलहनी फसल है, जो देश की अर्थव्यवस्था में अहम भूमिका निभाती है। किसान अगेती बुवाई के लिए उन्नत किस्मों के बीज की तलाश में हैं। इस समय सरसों अनुसंधान निदेशालय (DRMR) भरतपुर ने रेपसीड-सरसों की उन्नत किस्मों के बीज अनुदानित दामों पर उपलब्ध कराए हैं। इच्छुक किसान यहां से सीधे बीज खरीद सकते हैं। बीज का वितरण “पहले आओ-पहले पाओ” के आधार पर किया जा रहा है।
राजस्थान में सरसों का योगदान
राजस्थान, सरसों उत्पादन के मामले में देश में सबसे आगे है। यहां सरसों का कुल उत्पादन देश का 46.06% है। इसे ध्यान में रखते हुए, 13 से 28 सितंबर 2024 तक भरतपुर में बीज पखवाड़े का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें किसानों को उन्नत किस्मों के बीज अनुदान पर मिल रहे हैं।
सरसो के भाव में कब आएगी तेजी, सरसों के भाव में बड़ी गिरावट की संभावना हुई कम
सरसों की प्रमुख किस्में Top Variety of Mustard Seeds
गिरिराज DRMRIJ-31
सरसों की यह उन्नत किस्म 2013-14 में अधिसूचित की गई थी। यह दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, जम्मू कश्मीर और राजस्थान में उगाई जाती है। इसमें 39-42.6% तक तेल की मात्रा होती है, और पैदावार 23-28 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक होती है।
DRMR 150-35
यह किस्म 2020 में DRMR भरतपुर द्वारा विकसित की गई। इसे बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल और अन्य राज्यों में अनुशंसित किया गया है। इसकी पैदावार 18 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होती है और तेल की मात्रा 39.8% तक होती है।
DRMR 1165-40 (रुक्मणी) Top Variety of Mustard Seeds
2020 में विकसित यह किस्म राजस्थान, दिल्ली और हरियाणा में उगाई जाती है। इसकी पैदावार 22-26 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है और इसमें 40-42.5% तक तेल होता है।
DRMR 2017-15 (राधिका)
यह किस्म देर से बुवाई के लिए उपयुक्त है और 1788 किलो प्रति हेक्टेयर की पैदावार देती है। इसमें तेल की मात्रा 40.7% है और यह रोग प्रतिरोधी है।
DRMRIC 16-38 (बृजराज)
यह किस्म सिंचित क्षेत्रों के लिए अनुशंसित है। इसकी ऊंचाई 188-197 सेमी होती है और पैदावार 1681-1801 किलो प्रति हेक्टेयर होती है। इसमें तेल की मात्रा 37.6-40.9% है और रोग प्रतिरोधी गुण भी हैं।