आप सभी किसान साथियों का आज की इस पोस्ट में स्वागत है | आज की इस पोस्ट में हम आपको बताएँगे की मक्के की फसल को झुलसा रोग maize disease से कैसे बचाएं | किसान साथियों देश में भारी संख्या में किसान मक्के की खेती कर रहे हैं | लेकिन मक्के में कवक रोगों के लगने से इसकी फसल प्रभावित हो जाती है | मक्की की फसल में उत्तरी झुलसा लगने का खतरा हमेशा बना रहता है | इसे टर्सिकम लीफ ब्लाइट रोग भी कहा जाता है।
दोस्तों मक्के की फसल में झुलसा रोग maize disease एक प्रमुख समस्या है जो किसानों के लिए विपरीत प्रभाव डाल सकती है। साथियों यह रोग कई कारणों से हो सकता है, जैसे की अधिक नमी, बिमारियों के प्रसार, या नकली बीजों का प्रयोग। झुलसा बीमारी का प्रमुख पहचान लक्षण मक्के के पत्तों पर आने वाले धुंधले पिंडों के रूप में होता है, जो अन्य सामान्य पिंडों से अलग होते हैं। ये पिंड बाद में काले रंग में बदल जाते हैं।
किसान साथियों इस रोग को नियंत्रित करने के लिए कई प्रकार के उपाय होते हैं। पहले, सही किस्म के बीजों का चयन करना बहुत ही महत्वपूर्ण है। साथ ही, उचित खाद, पानी का प्रबंधन, और बीमारियों के खिलाफ प्रतिरक्षा करने के उपाय भी अनिवार्य होते हैं। बीमारी के प्रकोप को नियंत्रित करने के लिए भी फसल संरक्षा उपाय अपनाए जा सकते हैं, जैसे की अनिवार्य रोग प्रबंधन उपकरण का उपयोग करना। नियमित समय पर पेस्टिसाइड का छिड़काव भी झुलसा बीमारी को नियंत्रित करने में मदद कर सकता है।
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दोस्तों सही समय पर नियंत्रण उपायों के लागू होने पर और सवारी समय पर फसल का कटाव करना भी इस बीमारी के विस्तार को रोक सकता है। मक्की की फसल में झुलसा बीमारी के प्रकोप को नियंत्रित करने के लिए नियमित ध्यान और उपयुक्त कदम उठाना बहुत ही आवश्यक होता है।
Maize Disease मक्के की फसल में झुलसा रोग
किसान साथियों मक्की की फसल में उत्तरी झुलसा लगने का खतरा हमेश बना ही रहता है | इसे टर्सिकम लीफ ब्लाइट रोग/Tursicum Leaf Blight Disease भी कहा जाता है | ये रोग इतने खतरनाक है की अगर फसल में लग जाए, तो पूरी फसल बर्बाद हो जाती है | कृषि विशेषज्ञों का यह कहना है कि देश में भारी संख्या में किसान मक्के की खेती कर रहे हैं।
लेकिन मक्के में कवक रोगों के लगने से इसकी फसल काफी प्रभावित हो जाती है | इसमें मुख्यत: उतरी झुलसा लगने का खतरा ज्यादा बना रहता है | क्योंकि इसका संक्रमण में 17 से 31 डिग्री सेल्सियस तापमान सापेक्षिक आर्द्रता 90 से 100 प्रतिशत गीली और आद्र के मौसम में अनुकूल होता है, जो कि फोटोसिंथेसिस प्रक्रिया को भी प्रभावित करता है | जिससे की पैदावार में 90 प्रतिशत तक कमी आ जाती है।
किसान साथियों मोटा अनाज यानी मिलेट्स की जब भी बात आती है तो मन में मक्का का नाम जरूर ही आता है | क्योंकि अब रबी सीजन की कटाई पूरी हो चुकी है और जल्द ही खरीफ फसलों की बुवाई भी शुरू हो जाएगी | ऐसे में कई किसान मक्के की खेती करने की तैयारी में जुट भी गए होंगे | अगर आप भी मक्का की खेती करते हैं, तो आज की ये जानकारी सिर्फ आपके लिए ही है |
आज की इस पोस्ट में हम आपको एक ऐसे रोग के बारे में जानकारी देंगे जोकि मक्के के लिए बहुत ही खतरनाक है | अगर ये रोग मक्के में लग जाता है तो मक्की की पूरी फसल ही बर्बाद हो जाती है | इसलिए आपको इस रोग के बचाव के तरीके का पता होना चाहिए | आइये आज की इस पोस्ट के जरिये हम आपको इस रोग के लक्षण और इसके बचाव की जानकारी दें |
झुलसा बीमारी से कैसे बचाव करें ?
किसान साथियों कृषि विशेषज्ञों के मुताबिक, फसल की बुवाई से पहले पुराने अवशेषों को आप नष्ट कर दें | जिससे इस रोग के लगने की संभावना कम हो जाती है | दोस्तों साथ ही खेतों में पोटैशियम क्लोराइड के तौर पर पोटैशियम का भी प्रयोग करना चाहिए | साथ ही आपको मैंकोजिब 0.25 प्रतिशत व कार्बेंडाजिम का फसल पर छिड़काव करने से फसल को इस रोग से बचाया जा सकता है।
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इस रोग के लक्षण क्या हैं ?
आइये अब हम आपको इस रोग के लक्षण बताते हैं | किसान साथियों उत्तरी झुलसा बीमारी का संक्रमण 10 से 15 दिन बाद दिखाई देने लगता है | इस दौरान फसल में छोटे हल्के हरे भरे रंग के धब्बे भी दिखाई देते हैं | साथ ही पत्तियों पर शिकार के आकार के एक से 6 इंच लंबे भूरे रंग के घाव हो भी जाते हैं | जिससे पौधे की पत्तियां गिरने लगती हैं | इससे उपज को भारी नुकसान होता है।
किसान साथियों ये थी मक्के की फसल में झुलसा रोग maize disease की जानकारी | उम्मीद करते हैं आपको आज की ये जानकारी पसंद आयी होगी | अगर आपको आज की ये जानकारी पसंद आयी तो इसे शेयर जरूर कर दें | क्योंकि इसी तरह की जानकारी हम हर रोज़ हमारी इस वेबसाइट पर अपलोड करते रहते हैं |