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जुलाई अगस्त में किसान गन्ने की खेती करके कर सकते हैं मोटी कमाई

By Ishwar Singh

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गन्ने की खेती

आप सभी किसान साथियों का आज की इस पोस्ट में स्वागत है | क्या आप जानते हैं की अब किसान गन्ने की खेती ( Sugarcane Farming ) करके मोटी कमाई कर सकते हैं | जुलाई-अगस्त में गन्ना किसानों को सतर्क रहना जरूरी है, क्योंकि इस दौरान लाल सड़न रोग का प्रकोप बढ़ता है, जो गन्ने की फसल के लिए अत्यंत घातक हो सकता है | उचित देखभाल, प्रबंधन और समय पर रोग नियंत्रण के उपाय अपनाकर इस रोग से फसल को बचाया जा सकता है |

देखिये गर्मी और जाड़े में बोई गई गन्ने की फसल की पौध जुलाई और अगस्त में तेजी से बढ़ने लगती है | लेकिन, इस बढ़ती फसल पर जुलाई-अगस्त में लाल सड़न रोग का प्रकोप होने लगता है | साथियों हाल के कुछ वर्षों में यह रोग अत्यंत विनाशकारी साबित हुआ है, जिसे “गन्ने का कैंसर” भी कहा जाता है | देखिये इस रोग के लक्षण जुलाई-अगस्त माह से दिखाई देने लगते हैं और यह रोग फसल की कटाई से लेकर चीनी मिल तक को भी प्रभावित करता है |

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इस रोग के कारण फसल की उपज को 44% तक हानि हो सकती है | यह रोग कई बेहतरीन गन्ने की किस्मों को नुकसान पहुंचा चुका है | वर्तमान में इसका सबसे ज्यादा प्रकोप गन्ने की सबसे बेहतर किस्म CO-238 पर है | इस रोग के कारण गन्ने का अगोला सूख जाने से किसानों को चारे के लिए अगोला उपलब्ध नहीं हो पाता है | गन्ने में इस रोग के लग जाने पर वैज्ञानिकों को उस किस्म को सामान्य खेती से हटाना पड़ता है और नई रोगरोधी जाति विकसित करनी पड़ती है | महामारी के समय पूरे खेत इस रोग के कारण सूख जाते हैं, जिससे किसानों को उपज नहीं मिल पाती है |

गन्ने की खेती

किसान गन्ने की खेती ( Sugarcane Farming ) जुलाई में करें

कृषि विशेषज्ञों के अनुसार लाल सड़न रोग (रेड रॉट) के लक्षण जुलाई-अगस्त माह से दिखाई देने लगते हैं | पत्तियों का रंग पीला पड़ना, बीच की धुरी की तीसरी और चौथी पत्ती सूखना और पत्तियों के ऊपरी सतह पर सूक्ष्म लाल धब्बे बनना इसके प्रमुख लक्षण हैं | गन्ने को फाड़ने पर इसके तने का गूदा लाल रंग का दिखाई देता है और इसमें सफेद धब्बे होते हैं | फटे हुए भाग में सिरके जैसी गंध आती है और गन्ना आसानी से टूट जाता है |

रोग नियंत्रण के लिए एक विशेष विधि की बजाय आईपीएम (एकीकृत रोग प्रबंधन) रणनीति सर्वोत्तम है | मगर जुलाई-अगस्त में गन्ने की फसल में इस रोग के लक्षण दिखाई दें तो प्रभावित पौधों को खेत से हटाकर जला दें और 1 ग्राम कार्बेन्डाजिम या मैंकोजेब को 1 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें | इसके बाद खेत के मेड़ों को ऊंचा कर दें, ताकि पानी दूसरे खेतों में न जाए और बीमारी को फैलने से रोकी जा सके |

किसानों को हो सकता है नुकसान ?

एक आंकडे के मुताबिक लाल सड़न रोग (रेड रॉट) रोग के कारण गन्ने की उपज में 29 फीसदी और चीनी की रिकवरी में 31 फीसदी तक की कमी हो जाती है | गन्ने में चीनी बनने के समय इन्वर्टेज नामक एन्जाइम पैदा होता है, जिससे सुक्रोज, ग्लूकोज और फ्रक्टोज में टूट जाता है और यह दोनों शर्करा क्रिस्टल के रूप में जम नहीं पातीं | इससे शीरे की मात्रा बढ़ती है और चीनी की गुणवत्ता घटती है | इस रोग के कारण गन्ने की प्रजाति को सामान्य खेती से हटाना पड़ता है और नई रोगरोधी जाति विकसित करनी पड़ती है |

ये गन्ने का दुश्मन करता है तेज़ी से अटैक

कृषि विशेषज्ञों के अनुसार रेड रॉट रोग का संक्रमण हवा, बारिश के पानी, सिंचाई के पानी और भारी ओस के माध्यम से दूसरे क्षेत्रों में फैल सकता है | इस रोग के फैलने के लिए औसत तापमान 29.4 से 31 डिग्री सेल्सियस के बीच होता है. किसी एक खेत में लगातार एक ही किस्म की खेती करने से लाल सड़न रोग का प्रकोप अधिक होता है | मृदा पीएच मान 5-6 होने की स्थिति में भी रोग का फैलाव होता है | आजकल, लाल सड़न रोग का बहुत ज्यादा हानि पहुंचा रहा है जो एक गंभीर खतरा बन गया है |

बुवाई करने से पहले करें ये काम

जब गन्ना किसान गन्ने की बुवाई कर रहे हों तो रोग-मुक्त नर्सरी से बीज लेना चाहिए | रोपण से पहले प्रत्येक बीज सेट की सावधानीपूर्वक जांच करनी चाहिए | संक्रमित बीजों का प्रयोग न करें, कार्बेन्डाजिम के एक लीटर पानी में 2 ग्राम कार्बेन्डाजिम और एसिटिक एसिड 2 ग्राम मिलाकर घोल बनाकर इसमें 30 मिनट तक गन्ने के बीज को डुबोकर रखें और फिर बुवाई करें | यह रसायन पेड़ों के चारों तरफ एक परत बना देते हैं जिससे कीट मर जाते हैं और जमाव भी बढ़ जाता है |

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किसान साथियों ये थे गन्ने की खेती ( Sugarcane Farming ) की जानकारी | उम्मीद करते हैं आपको गन्ने की खेती ( Sugarcane Farming ) की जानकारी पसंद आयी होगी | अगर आपको गन्ने की खेती ( Sugarcane Farming ) की ये जानकारी पसंद आयी तो आप इस जानकारी को ज़्यादा से ज़्यादा किसान साथियों के साथ फेसबुक ग्रुप्स और व्हाट्सप्प ग्रुप्स के माध्यम से शेयर करें | क्योंकि इसी तरह की जानकारी आपको हर रोज़ हमारी इस वेबसाइट पर देखने को मिलती रहेगी |

Ishwar Singh

खेती-किसानी से जुड़े हर पहलू को समझने और समझाने का जज़्बा लिए, ईश्वर सिंह ने "किसान की आवाज़" प्लेटफॉर्म को जन्म दिया। यहां आपको कृषि, पशुपालन, किसानों की समस्याओं और समाधानों, साथ ही कृषि से जुड़ी ताज़ा खबरों का खज़ाना मिलेगा।

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