आप सभी साथियों काआज की इस पोस्ट में स्वागत है | क्या आप जानते हैं की कितने वजन के बाद बीमार होता है मुर्गा ? देखिये बाजार में मुर्गों की मांग और आपूर्ति में गड़बड़ी होते ही सबसे पहले मुर्गों पर असर पड़ता है। पोल्ट्री फार्म ( Poultry Chicken ) में मुर्गों को दिन-रात में तीन से चार बार खाना दिया जाता है, जिससे उनका वजन बढ़ता है। ऐसे में अगर उन्हें सही समय पर बाजार में नहीं बेचा गया तो वे बीमार पड़ने लगते हैं और चलने-फिरने में भी लाचार हो जाते हैं।
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देखिये खुले बाजार में मुर्गों के दाम वजन के आधार पर तय नहीं होते, लेकिन पोल्ट्री फार्म और होलसेल मार्केट में चिकन के लिए बिकने वाले मुर्गों के दाम उनके वजन पर निर्भर करते हैं। चिकन की अलग-अलग डिश के लिए अलग-अलग वजन के मुर्गे तैयार किए जाते हैं। अगर वजन के हिसाब से तैयार हुए मुर्गे समय पर बाजार में नहीं बिके तो वे बीमार पड़ने लगते हैं।
कितने वजन के बाद बीमार होता है मुर्गा ?
साथियों एक खास वजन के बाद मुर्गों को हार्ट अटैक भी आ सकता है। पोल्ट्री फार्म एक्सपर्ट के अनुसार, बाजार में मांग और दाम में उतार-चढ़ाव से मुर्गों की सप्लाई कम हो जाती है और फार्म में ज्यादा खाने से उनका वजन बढ़ता है। ऐसा ही कोरोना-लॉकडाउन के दौरान भी हुआ था।
ज्यादा वजन बढ़ने से मुर्गों की मौत कैसे होती है ?
आपके मन में ये सवाल जरूर होगा की ज्यादा वजन बढ़ने से मुर्गों की मौत कैसे होती है | साथियों पोल्ट्री एक्सपर्ट मनीष शर्मा ने बताया कि तीन किलो तक के मुर्गे को कोई परेशानी नहीं होती, लेकिन जैसे ही मुर्गा साढ़े तीन किलो का हो जाता है, उसे चलने-फिरने में दिक्कत होती है। ऐसे में वह ज्यादातर एक ही जगह बैठा रहता है। वहीं खाना मिल गया तो खा लेता है, नहीं तो भूखा रहता है। ऐसे में उसे हार्ट अटैक भी आ सकता है या भूख से भी मर सकता है।
ब्रॉयलर मुर्गों में वजन का खास महत्व क्यों होता है ?
मनीष शर्मा के अनुसार, जन्म से 15 दिन तक का चूजा आराम से खाना खाता है और 500-600 ग्राम का हो जाता है। इसके बाद उसकी भूख बढ़ जाती है और वह दिन-रात खाने की जरूरत महसूस करता है। 30 दिन में ब्रॉयलर मुर्गा 900-1200 ग्राम तक का हो जाता है, जो तंदूरी और फ्राई चिकन के लिए उपयुक्त होता है। 35 दिन में वह दो किलो और 40 दिन में ढाई किलो का हो जाता है। ढाई किलो वजन का मुर्गा बाजार में ज्यादा मांग में रहता है।
तीन किलो के बाद का मुर्गा मोटा और सस्ता हो जाता है और उसकी बाजार में मांग कम हो जाती है। ब्रॉयलर मुर्गों में वजन के चलते बीमारी और हार्ट अटैक की समस्या होती है, जबकि देसी मुर्गों में यह समस्या नहीं होती। देसी मुर्गे 5.5 से 6 किलो वजन तक के हो सकते हैं।
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किसान साथियों ये थी कितने वजन के बाद बीमार होता है मुर्गा की जानकारी | उम्मीद करते हैं आपको आज की ज्यादा वजन बढ़ने से मुर्गों की मौत कैसे होती है की जानकारी पसंद आयी होगी | साथियों अगर आपको आज की ये जानकारी पसंद आयी तो आप इस जानकारी को ज़्यादा से ज़्यादा किसान साथियों के साथ फेसबुक ग्रुप्स और व्हाट्सप्प ग्रुप्स के माध्यम से शेयर करें | क्योंकि इसी तरह की जानकारी आपको हर रोज़ हमारी इस वेबसाइट पर देखने को मिलती रहेगी |