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गेहूं की बुवाई का सही समय, पूसा वैज्ञानिकों से जानें उन्नत किस्मों की जानकारी

By Ishwar Singh

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गेहूं की बुवाई का सही समय

गेहूं की बुवाई का सही समय : रबी सीजन की प्रमुख फसल, गेहूं की बुवाई का समय शुरू हो चुका है, और इस सीजन में अधिक पैदावार के लिए सही बीज चयन, खाद, और पानी का प्रबंधन अत्यंत महत्वपूर्ण है। पूसा के कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण सलाह जारी की है जिसमें गेहूं की कुछ उन्नत किस्मों और उनकी विशेषताओं पर जानकारी दी गई है। आइए जानते हैं इन किस्मों और सही बुवाई तकनीकों के बारे में।गेहूं की बुवाई का सही समय

उन्नत किस्में और उनकी विशेषताएँ गेहूं की बुवाई का सही समय

कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार, सिंचित परिस्थितियों में एचडी 3385, एचडी 3386, एचडी 3298, एचडी 2967, एचडी 3086, डीबीडब्ल्यू 370, डीबीडब्ल्यू 371, डीबीडब्ल्यू 372, और डीबीडब्ल्यू 327 जैसी किस्मों की बुवाई की जा सकती है। इनमें से प्रत्येक किस्म की अपनी विशेषता है, जो किसानों को उच्च उत्पादन और रोग प्रतिरोध क्षमता प्रदान करती है। एचडी 3385 उच्च तापमान में अच्छी पैदावार देने वाली किस्म है, जो 75-100 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उपज क्षमता रखती है। इसके अलावा, एचडी 3386 पत्ती रतुआ और पीलेपन जैसे रोगों के प्रति प्रतिरोधी है, जो पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान जैसे गेहूं उत्पादक क्षेत्रों में उपयुक्त है। गेहूं की बुवाई का सही समय

अन्य किस्मों में, एचडी 3086 (पूसा गौतमी) को समय पर बुवाई के साथ उत्तरी मैदानी क्षेत्रों के लिए उपयुक्त माना गया है, जिसकी औसत उपज 54.6 से 71 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक होती है। एचडी 2967 भी एक अगेती किस्म है, जो पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, और उत्तर प्रदेश में उत्कृष्ट उत्पादन देती है। इस किस्म में पीला रतुआ रोग के प्रति अच्छी प्रतिरोध क्षमता है। डीबीडब्ल्यू 370, डीबीडब्ल्यू 371 और डीबीडब्ल्यू 372 नामक किस्में भारतीय गेहूं और जौ अनुसंधान संस्थान, करनाल द्वारा बायो-फोर्टिफाइड रूप में विकसित की गई हैं, जो अधिक गर्मी सहन कर सकती हैं और 86.9 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक उपज देती हैं।

बुवाई से पहले तैयारी गेहूं की बुवाई का सही समय

अधिक उपज प्राप्त करने के लिए अच्छे किस्म के प्रमाणित बीजों का चयन और उनका बीज उपचार आवश्यक है। कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार, बीजों को बुवाई से पहले प्रति किलोग्राम 2 ग्राम थाइरम या 2.5 ग्राम मैन्कोजेब या टेबुकोनोजोल 1 ग्राम प्रति किलोग्राम से उपचारित करना चाहिए। इससे बीजों में फंगस, बैक्टीरिया, और अन्य परजीवियों का प्रकोप नहीं होता और फसल करनाल बंट तथा लूज स्मट जैसी बीमारियों से सुरक्षित रहती है।

कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार, बुवाई के समय प्रति हेक्टेयर 100 किलोग्राम बीज लगाना चाहिए। दीमक के प्रकोप वाले खेतों में क्लोरपाईरिफॉस 20 ईसी @ 5 लीटर प्रति हेक्टेयर का छिड़काव करें। साथ ही, नाइट्रोजन, फास्फोरस, और पोटाश की अनुशंसित मात्रा का प्रयोग कर मिट्टी की उर्वरता को बनाए रखें।

Ishwar Singh

खेती-किसानी से जुड़े हर पहलू को समझने और समझाने का जज़्बा लिए, ईश्वर सिंह ने "किसान की आवाज़" प्लेटफॉर्म को जन्म दिया। यहां आपको कृषि, पशुपालन, किसानों की समस्याओं और समाधानों, साथ ही कृषि से जुड़ी ताज़ा खबरों का खज़ाना मिलेगा।

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