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लाल कंधारी गाय देती है एक साल में 275 दिन दूध , कीमत है मात्र 40000 रुपये

By Ishwar Singh

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लाल कंधारी गाय

आप सभी साथियों का आज की इस पोस्ट में स्वागत है | दोस्तों आज हम बात करेंगे लाल कंधारी गाय ( Lal Kandhari Cow ) के बारे में | देखिये दोस्तों इस नस्ल की गाय का मूल स्थान कंधार, तहसील नांदेड़, जिला महाराष्ट्र है | इसे ‘लाखलबुंडा’ के नाम से भी जाना जाता है | यह महाराष्ट्र के नांदेड़, परभणी, अहमदनगर, बीड और लातूर जिलों में भी पाई जाती है | इस नस्ल के पशु मध्यम आकार के और गहरे लाल रंग के होते हैं |

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दोस्तों ग्रामीण इलाकों में आज भी खेती के बाद पशुपालन व्यवसाय को आय का सबसे अच्छा और बड़ा जरिया माना जाता है | किसान खुद को आर्थिक रूप से मजबूत बनाने के लिए खेती-बाड़ी के साथ पशुपालन का काम करते हैं | देखिये पशुपालन में भी किसानों के बीच गाय पालन सबसे ज्यादा लोकप्रिय है | गाय न सिर्फ दूध देती है, बल्कि खेती के लिए गोबर की खाद भी देती है, जिससे खेती की लागत भी कम आती है | जिसके चलते हर वर्ग के किसानों का झुकाव गाय पालन की ओर बढ़ रहा है |

लाल कंधारी गाय

Lal Kandhari Cow | लाल कंधारी गाय की जानकारी

साथियों इस नस्ल की गाय का मूल स्थान कंधार, तहसील नांदेड़, जिला महाराष्ट्र है | इसे ‘लाखलबुंडा’ के नाम से भी जाना जाता है | यह महाराष्ट्र के नांदेड़, परभणी, अहमदनगर, बीड और लातूर जिलों में पाई जाती है | इस नस्ल के पशु मध्यम आकार के और गहरे लाल रंग के होते हैं | यह नस्ल हल्के लाल से भूरे रंग में भी आती है | इसके सींग टेढ़े-मेढ़े, माथा चौड़ा, कान लंबे, कूबड़ और लटकती हुई त्वचा मुलायम, आंखें चमकदार और पीठ पर गोल काले धब्बे भी होते हैं |

दोस्तों इस नस्ल के नर की औसत ऊंचाई 1138 सेमी और मादा की औसत ऊंचाई 128 सेमी होती है | यह नस्ल एक ब्यांत में औसतन 600 से 650 किलोग्राम दूध देती है, जिसमें वसा की मात्रा लगभग 4.5 प्रतिशत होती है | पहले ब्यांत के समय इस नस्ल की मादा की उम्र 30-45 महीने होनी चाहिए और इसका एक ब्यांत 12-24 महीने का होता है |

चारे की कितनी जरुरत होती है ?

पशुपालक साथियों इस नस्ल की गायों को आवश्यकतानुसार चारा खिलाएं | फलीदार चारा खिलाने से पहले उसमें भूसा या अन्य चारा मिला दें | ताकि पेट फूलने या अपच की समस्या न हो | आवश्यकतानुसार चारा प्रबंधन नीचे दिया गया है |

सूखा चारा और हरा चारा

सूखे चारे की बात करें तो बरसीम घास, ल्यूसर्न घास, जई घास, भूसा, मकई की टहनियां, ज्वार और बाजरा भूसा, गन्ने की आग, दुर्वा घास, मक्का अचार, जई का अचार आदि | वहीँ हरे चारे की बात करें तो बरसीम (पहली, दूसरी, तीसरी और चौथी फसल), ल्यूसर्न (औसत), लोबिया (लंबी और छोटी किस्म), ग्वाराना, सेंजी, ज्वार (छोटा, पकने वाला, पका हुआ), मक्का (छोटा और पकने वाला), जई, बाजरा, हाथी घास, नेपियर बाजरा, सूडान घास आदि |

क्या है शेड की आवश्यकता

पशुओं के अच्छे प्रदर्शन के लिए उन्हें अनुकूल पर्यावरणीय परिस्थितियों की आवश्यकता होती है | पशुओं को भारी बारिश, चिलचिलाती धूप, बर्फबारी, ठंड और परजीवियों से बचाने के लिए शेड की आवश्यकता होती है | सुनिश्चित करें कि चुने गए शेड में स्वच्छ हवा और पानी की पहुंच हो. फ़ीड भंडारण स्थान पशुओं की संख्या के अनुसार बड़ा और खुला होना चाहिए ताकि वे आसानी से भोजन खा सकें | पशु अपशिष्ट जल निकासी पाइप 30-40 सेमी चौड़ा और 5-7 सेमी गहरा होना चाहिए |

कीमत क्या है ?

लाल कंधारी गाय छोटे किसानों के लिए किफायती और लाभदायक है | इस नस्ल की एक गाय 30 से 40 हजार रुपये में बिकती है | जबकि एक जोड़ी बैल 1 लाख रुपये तक बिकते हैं |

पशुओं का हरा चारा यहाँ उपलब्ध है :- Kisan Napier Farm

किसान साथियों ये थे लाल कंधारी गाय ( Lal Kandhari Cow ) की जानकारी | उम्मीद करते हैं आपको आज की जानकारी पसंद आयी होगी | अगर आपको आज की ये जानकारी पसंद आयी तो आप इस जानकारी को ज़्यादा से ज़्यादा किसान साथियों के साथ फेसबुक ग्रुप्स और व्हाट्सप्प ग्रुप्स के माध्यम से शेयर करें | क्योंकि इसी तरह की जानकारी आपको हर रोज़ हमारी इस वेबसाइट पर देखने को मिलती रहेगी |

Ishwar Singh

खेती-किसानी से जुड़े हर पहलू को समझने और समझाने का जज़्बा लिए, ईश्वर सिंह ने "किसान की आवाज़" प्लेटफॉर्म को जन्म दिया। यहां आपको कृषि, पशुपालन, किसानों की समस्याओं और समाधानों, साथ ही कृषि से जुड़ी ताज़ा खबरों का खज़ाना मिलेगा।

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