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पीले तरबूज की खेती ने बदल दी काफी किसानों की किस्मत , होगा जबरदस्त मुनाफा

By Ishwar Singh

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पीले तरबूज की खेती कैसे करें

सभी किसान साथियों का आज की इस पोस्ट में स्वागत है | आज की इस पोस्ट में हम आपको पीले तरबूज की खेती ( Yellow Watermelon Farming ) के बारे में बताएँगे | दोस्तों त्रिपुरा के कई हिस्‍सों, खासतौर पर गोलाघाटी गांव में बसे किसान एक ऐसी सक्‍सेस स्‍टोरी हम आपको बताएँगे जिसके बारे में कभी किसी ने कल्‍पना भी नहीं की होगी | दोस्तों यहां के सिपाहीजला जिले के तहत आने वाले बिशालगढ़ सब-डिविजन में स्थित गोलाघाटी गांव के किसान, ऑफ-सीजन में भी पीले तरबूज की खेती ( Yellow Watermelon Farming ) करके मालामाल हो रहे हैं | इस खेती के जरिये उन्‍हें काफी फायदा मिल रहा है |

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पीले तरबूज की खेती से हो रहा है अधिक मुनाफा

किसान साथियों पीले तरबूज को काटने पर, अंदर पीला सुनहरे रंग का गूदा मिलेगा | लाल तरबूज की तरह ही पीला तरबूज मीठा, रसदार और अविश्वसनीय रूप से स्वादिष्‍ट होता है | दोस्तों कुछ लोगों का तो यहां तक कहना है कि पीले तरबूज का स्‍वाद शहद जैसा मीठा होता है | पीला तरबूज बाजार में उतना आम नहीं है, लेकिन किसान कर्नाटक, आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों के कुछ हिस्सों में इसकी खेती करते हैं | वहीं अब अब इसकी खेती त्रिपुरा में भी की जाने लगी है | दोस्तों त्रिपुरा लाल तरबूज की खेती के लिए जाना जाता है, अधिक मुनाफे की उम्मीद में किसानों ने धीरे-धीरे पिले तरबूज की खेती करना भी शुरू कर दिया है |

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किसानों को मिलेगा लाखों का मुनाफा

दोस्तों खेती का यह नया दृष्टिकोण न केवल स्थानीय किसानों के लिए आर्थिक आत्मनिर्भरता को बढ़ावा दे रहा है बल्कि में पोषण संबंधी जरूरतों को भी पूरा कर रहा है | अनिमेष सरकार, तन्मय सरकार, शुभंकर देब और रामू रॉय जैसे किसानों ने गोलाघाटी गांव में पिले तरबूज की खेती ( Yellow Watermelon Farming ) का बीड़ा उठाया है और इस साल संयुक्त रूप से 2.78 हेक्टेयर जमीन पर इन्‍होंने जो राजस्व अर्जित किया है वह महत्‍वपूर्ण है |

साथियों एक रिपोर्ट की मानें तो खर्चों में कटौती के बाद भी यह लाखों रुपये तक पहुंच गया है | इस सफलता से प्रेरित होकर, गोलाघाटी के कई किसान अब पिले तरबूज की खेती को अपनाने के लिए काफी उत्सुक हैं, जिससे जिले के कई क्षेत्रों में इसका विस्तार हो रहा है |

पीले तरबूज की बाजार में कीमत क्या है ?

किसान साथियों इंडिया टुडे के साथ बातचीत में अनिमेष सरकार ने इस खेती को लेकर अपनी संतुष्टि जताई है | साथ ही उन्‍होंने बताया कि कैसे कृषि विभाग से उन्‍हें महत्वपूर्ण मदद इस दिशा में दी गई | दोस्तों उनका कहना था कि कृषि अधिकारियों के मार्गदर्शन ने ऐसी सफल खेती में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है | हालांकि ऐसे तरबूजों की खेती के पीछे बहुत समय लगता है, लेकिन हमें मुनाफा भी हो रहा है | दोस्तों बाजार में एक किलो पीला तरबूज थोक में 40 रुपये से 70 रुपये में मिलता है, जबकि खुदरा कीमतें 70 रुपये से 80 रुपये प्रति किलोग्राम के बीच होती हैं |

yellow watermelon price

क्या है इसके आकर्षण की वजह ?

दोस्तों एक और किसान सुभान देब ने कहा है कि एक हेक्‍टेयर भूमि पर इसकी खेती करने की लागत 40000 रुपये के बीच है | जबकि संभावित कमाई खर्चों को छोड़कर 1 लाख 40 हजार रुपये प्रति हेक्‍टेयर तक पहुंच जाती है और यही मुनाफा ज्‍यादा से ज्‍यादा किसानों को पिले तरबूज की खेती में आगे बढ़ने के लिए आकर्षित कर रहा है | इस पहल से कृषि श्रमिकों को भी लाभ हो रहा है, क्योंकि ऑफ-सीजन के दौरान श्रम की मांग बढ़ जाती है | दिहाड़ी मजदूरों को तरबूज की खेती में रोजगार के अवसर मिलते हैं, जो उनकी आजीविका में काफी योगदान करते हैं |

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पिले तरबूज की खेती में है जबरदस्त मुनाफा

दोस्तों त्रिपुरा के बागवानी विभाग के सहायक निदेशक डॉ. दीपक बैद्य ने कहा कि त्रिपुरा के कुछ हिस्सों में पीले तरबूज की खेती ( Yellow Watermelon Farming ) शुरू भी हो गई है | इसके आकर्षक रंग और स्वादिष्ट स्वाद के कारण इसकी मांग अधिक है | दोस्तों हालांकि इसका बड़े पैमाने पर उत्पादन अभी तक शुरू नहीं हुआ है लेकिन इसमें सामान्य तरबूज से ज्यादा मुनाफा होता है | साथियों खेती अभी टेस्टिंग फेज में है | कृषि विभाग के बिशालगढ़ सेक्टर अधिकारी प्रबीर दत्ता ने गर्मी के मौसम में तरबूज की खेती की सफलता पर काफी जोर दिया | इसमें औसतन पांच हेक्टेयर भूमि तक खेती का विस्तार हुआ है |

किसान साथियों ये थी पीले तरबूज की खेती ( Yellow Watermelon Farming ) की जानकारी | उम्मीद करते हैं आपको आज की ये जानकारी पसंद आयी होगी | अगर आपको आज की ये जानकारी पसंद आयी तो इसे शेयर जरूर कर दें | क्योंकि इसी तरह की जानकारी हम हर रोज़ हमारी इस वेबसाइट पर अपलोड करते रहते हैं |

Ishwar Singh

खेती-किसानी से जुड़े हर पहलू को समझने और समझाने का जज़्बा लिए, ईश्वर सिंह ने "किसान की आवाज़" प्लेटफॉर्म को जन्म दिया। यहां आपको कृषि, पशुपालन, किसानों की समस्याओं और समाधानों, साथ ही कृषि से जुड़ी ताज़ा खबरों का खज़ाना मिलेगा।

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